जयपुर। श्री प्रेमभाया मंडल समिति का 85वां श्री प्रेमभाया महोत्सव ढूंढ़ाड़ी विरासत 21 से 23 मार्च तक पुरानी बस्ती जयलाल मुंशी का रास्ता स्थित युगल कुटीर पर धूमधाम से मनाया जाएगा। इसकी तैयारियां जोरशोर से चल रही है। जयलाल मुंशी का रास्ते के हर घर में उत्सव को लेकर भक्तों में बहुत उत्साह है। जिस प्रकार भगवान राम अयोध्या में रामलला के रूप में पूजित हैं वैसे ही छोटीकाशी में भगवान कृष्ण ढूंढ़ाड़ी भाषा में प्रेमभाया के रूप में जगत प्रसिद्ध है।
इन तीन दिनों में ढूंढ़ाड़ी विरासत साकार होगी। जय लाल मुंशी का रास्ता और रास्ते के सभी घरों के बाहर लोगों ने दिवाली की तरह लाइटिंग की है। रंगोली, बांदरवाल से घरों को सजाया जा रहा है। श्री प्रेमभाया मंडल समिति के प्रवक्ता लोकेश शर्मा ने बताया कि लोगों के भारी उत्साह को देखकर लग रहा है कि इस बार का आयोजन ऐतिहासिक होगा।
लगातार 72 घंटे के अखंड संगीत समारोह में 50 से ज्यादा गायक, कलाकार और भक्त मंडलियां प्रेमभाया सरकार का ढूंढ़ाड़ी भाषा में युगल किशोर शास्त्री द्वारा लिखे भजनों से गुणगान करेंगी। देश-प्रदेश ही नहीं विदेश से संगीतकार, गायक और वादक इस तीन दिवसीय पारपंरिक उत्सव में हाजिरी लगाएंगे। लगातार 72 घंटे में 250 ज्यादा ढूंढ़ाड़ी भजनों की प्रस्तुतियां दीं जाएंगी। पहले दिन 21 मार्च को दोपहर एक बजे श्री प्रेमभाया सरकार का वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंचामृत अभिषेक कर नवीन पोषाक धारण कराई जाएगी। इसी दिन रात्रि आठ बजे से गणेश वंदना के साथ भक्ति संगीत समारोह शुरू होगा। 22-23 मार्च को दिन में महिला मंडलों की ओर से भक्ति संगीत का कार्यक्रम होगा।
तीसरे दिन निकलेगा नगर संकीर्तन:
श्री प्रेम भाया महोत्सव के आखिरी दिन 23 मार्च को शाम 7 बजे संकीर्तन के साथ प्रेमभाया का नगर संकीर्तन शुरू होगा। जो जयलाल मुंशी का रास्ता के सत्संग स्थल से प्रारंभ होकर शहर के विभिन्न मार्ग से होते हुए 24 मार्च को सुबह 7 बजे वापस पुरानी बस्ती के युगल कुटीर पहुंचकर संपन्न होगा।
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