राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश पर सरकार ने प्रशासक तो नियुक्त कर दिया लेकिन अब ना तो मंदिर में समय पर भगवान की पूजा हो पा रही हैं और ना ही ठीक ढंग से साफ़ सफाई
जयपुर। देश भर में मंदिरों को सरकारी संरक्षण से मुक्त करने की आवाज मुखर हो रही है। सरकारी अधिकारी-कर्मचारी मंदिरों की व्यवस्था संभालने में नाकाम साबित हो रहे हैं। राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश की आड़ में प्रसिद्ध गलता पीठ पर प्रशासक नियुक्त करने के बावजूद गलता, सरकार के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। पहले से ढंग से साफ-सफाई नहीं हो रही। भगवान को भोग भी पूरा नहीं लग रहा। उत्सव बंद हो गए हैं। अब यहां काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा।
गलता पीठ में कार्य करने वाले करीब 60 पुजारियों-कर्मचारियों ने तीन माह से वेतन नहीं मिलने के विरोध में मंगलवार को उपवास रखा और राम नाम कीर्तन किया। ये पुजारी कई वर्षों से गलताजी के विभिन्न मंदिरों में सेवा पूजा-अर्चना, भोग राग, साफ-सफाई, गुरुकुल में अध्ययन-अध्यापन, गौ सेवा, अतिथि सेवा, यज्ञीय सेवा का कार्य कर रहे हैं। विभिन्न उत्सवों एवं पर्वों पर विशेष सेवा-पूजा- आराधना करते हैं। उक्त सेवा कार्य के बदले पूर्व पीठाधिपति स्वामी अवधेशाचार्य महाराज उन्हें नियमित वेतन और सम्मान देते थे।
जब से राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश से गलताजी का प्रबंधन राज्य सरकार के हाथ में है। इसलिए जुलाई, अगस्त और सितम्बर माह का वेतन आज तक नहीं मिला ह। पुजारियों ने बताया कि अधिकारियों से बार-बार प्रार्थना करने पर भी हमारी बात कोई नहीं सुनता। बल्कि यहां नियुक्त सरकारी कर्मचारी हमसे अपमानजनक व्यवहार करते हैं। स्वयं अपने जन्म दिन पर गलता परिसर में केक काटकर समारोह करते हैं। तीन माह के राशन, दवाईयों, बच्चों के लिए दूध के लिए हमने श्री वैष्णव मण्डल जयपुर से प्रार्थना की। उनसे कुछ अनुदान राशि प्राप्त हुई। तीन माह में रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी सहित प्रमुख त्योहार बिना वेतन के मनाने पड़े।
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