July 25, 2025

BULLET RAJASTHAN

राजस्थान की ख़बरें सबसे पहले…

रतन टाटा जैसा कोई नहीं था : एनचंद्रशेखरन

नई दिल्ली, 15 अक्टूबर टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने सोमवार को कहा कि दिवंगत रतन टाटा ने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि टाटा समूह की कंपनियों में कर्मचारियों के साथ-साथ उनके परिवारों की भलाई का भी ध्यान रखा जाए। रतन टाटा के इस विचार के कारण समूह में अनेक लोग अग्रणी बनकर उभरे। उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में रतन टाटा जैसा कोई नहीं था।’’

पिछले सप्ताह दिवंगत हुए रतन टाटा (86) के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए, नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर एक पोस्ट में एन चंद्रशेखरन ने लिखा, ‘‘ टाटा से मिलने वाला कोई भी व्यक्ति उनकी मानवता, गर्मजोशी और भारत के लिए उनके सपनों की कहानी अपने साथ लेकर गया। वास्तव में उनके जैसा कोई नहीं था।’’

(दिवंगत) साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद 2017 में टाटा संस के चेयरमैन का पद संभालने वाले चंद्रशेखरन ने कहा कि दिवंगत टाटा के साथ उनका रिश्ता ‘सालों-साल बढ़ता गया, पहले व्यापार पर ध्यान केंद्रित किया और अंततः एक अधिक व्यक्तिगत संबंध में विकसित हुआ।’

उन्होंने रतन टाटा के साथ अपने संबंधों को याद करते हुए कहा, ‘‘हमने कारों से लेकर होटलों तक की रुचियों पर चर्चा की, लेकिन जब हमारी बातचीत दैनिक जीवन से जुड़े दूसरे मामलों पर आ गई, तो उन्होंने दिखाया कि उन्होंने कितना कुछ देखा और महसूस किया। वे ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें समय के साथ और अनुभव के माध्यम से अभी और अधिक समझना बाकी था।’’

समूह के दिवंगत चेयरमैन एमेरिटस ने किस तरह कर्मचारी कल्याण पर जोर दिया, यह याद करते हुए चंद्रशेखरन ने लिखा, ‘‘चेयरमैन बनने के ठीक बाद, मुझे टाटा मोटर्स के भीतर एक ऐसी स्थिति से परिचित कराया गया, जिसमें कंपनी और कर्मचारी संघ के बीच दो साल से वेतन को लेकर विवाद चल रहा था।’’

उन्होंने आगे बताया कि मार्च 2017 में, टाटा और मैंने यूनियन नेताओं से एक साथ मुलाकात की। बैठक के दौरान, टाटा ने तीन संदेश दिए- उन्होंने समाधान खोजने में देरी के लिए खेद व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि कंपनी मुश्किलों से गुजर रही है। और हम दोनों ने प्रतिबद्धता जताई कि इस विवाद को एक पखवाड़े के भीतर सुलझा लिया जाएगा।

उनके अनुसार,‘‘ टाटा का निर्देश पूरी तरह से यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित था कि कर्मचारियों की अच्छी तरह से देखभाल की जाए – न केवल विवाद को हल करने के लिए, बल्कि उनके और उनके परिवारों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए।’’

चंद्रशेखरन, जो टाटा संस के चेयरमैन बनने से पहले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) के सीईओ थे, ने लिखा, ‘‘अन्य ग्रुप कंपनियों में, कर्मचारियों के बारे में उनका नज़रिया एक जैसा था। यह कुछ ऐसा है जिसने पूरे ग्रुप में हमारे कई अग्रणी लोगों को आगे बढ़ने में मदद की है।’’

कुत्तों के प्रति  रतन टाटा के प्यार और देखभाल को याद करते हुए, चंद्रशेखरन ने समूह मुख्यालय ‘बॉम्बे हाउस’ के जीर्णाेद्धार के बारे में एक घटना को याद किया, जो लगभग उसी समय घटी थी, जब टाटा मोटर्स में विवाद हुआ था।

‘‘…मैंने अपने मुख्यालय, बॉम्बे हाउस के नवीनीकरण की इच्छा व्यक्त की। बॉम्बे हाउस को 1924 से छुआ नहीं गया था, और इससे भी महत्वपूर्ण बात (जैसा कि कई लोगों ने मुझे बताया) श्री टाटा इसे पसंद नहीं करेंगे। बॉम्बे हाउस की पवित्रता पर जोर मुझे कहा गया, ‘बॉम्बे हाउस एक मंदिर है।’

चंद्रशेखरन ने याद किया कि जब उन्होंने आखिरकार श्री टाटा से बॉम्बे हाउस के बारे में बात की, तो उन्होंने (टाटा) कहा, ‘क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकता हूँ? जब आप नवीनीकरण शब्द का इस्तेमाल करते हैं, तो क्या आपका मतलब इसे ‘खाली करने’ से है?’ मैंने उन्हें बताया कि हम सभी को पास के कार्यालय में ले जाने की योजना बना रहे हैं।

दरअसल टाटा जानना चाहते थे कि बॉम्बे हाउस का अभिन्न अंग रहे और अक्सर रिसेप्शन पर नजर आने वाले कुत्ते नवीनीकरण के दौरान कहां जाएंगे

चंद्रशेखरन ने आश्वासन दिया कि उनके लिए एक केनेल (कुत्ता घर) बनाया जाएगा, जिस पर टाटा ने प्रस्ताव पर विचार करते हुए कहा ‘सच में?’

चंद्रशेखरन ने कहा, ‘‘जब बॉम्बे हाउस का नवीनीकरण पूरा हो गया, तो श्री टाटा सबसे पहले केनेल देखना चाहते थे। वे यह देखकर बहुत खुश हुए कि केनेल का डिज़ाइन कितना सोच-समझकर बनाया गया था और कुत्तों की कितनी अच्छी तरह से देखभाल की गई थी।’’

चंद्रशेखरन ने आगे याद करते हुए कहा, ‘‘केनेल और उनकी प्राथमिकताओं के साथ उनकी खुशी देखकर उन्हें याद आया कि बड़े प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन जब हम बड़े प्रोजेक्ट की बात करते हैं, तो यह भी खुलासा होता है कि हम कैसे सोचते हैं, हम किस चीज को प्राथमिकता देते हैं और हमें किस तरह देखा जाता है। उनकी खुशी देखकर यह बात साबित हुई कि हमने सही काम किया है।’’

उनके अनुसार, अगर टाटा कभी किसी जगह जाते, तो उन्हें सब कुछ याद रहता – छोटे से छोटे फर्नीचर की जगह से लेकर, लाइटिंग, रंग वगैरह।

चंद्रशेखरन ने कहा, ‘‘उनकी याददाश्त फोटोग्राफिक थी। उन्हें किताबों और पत्रिकाओं के कवर और विषय-वस्तु तक याद रहती थी और वे सालों बाद भी उनका संदर्भ देते थे। वे हमेशा बड़े विचारों से लेकर छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देते और उनका विश्लेषण करते रहते थे।’’

उन्होंने कहा कि टाटा कौन थे, इस बारे में कहने के लिए और भी बहुत कुछ है, ‘‘लेकिन अभी, जब मैं उनकी अनुपस्थिति को याद कर रहा हूँ, तो मुझे बस इतना ही कहना है- उनकी आंखों ने वो सब कुछ स्पष्ट रूप से देखा, जैसे उनके दिमाग ने सब कुछ स्पष्ट रूप से समझा

 

You may have missed